Sunday 27 October 2013

मैंने शिव को देखा है


मैंने शिव को देखा है 

गली, चौराहों, सड़को और घरों में 

यहाँ तक कि लोगों की जेबों में देखा है। 

कभी सर्जक 

तो कभी विध्वंसक होते देखा है।

कभी जमींदारों का  हथियार 

और पूंजीपतियों का कारखाना होते देखा है 

तो कभी  मजदूरों की बंदूक होते देखा है।  

कभी सभ्यताओं को  विकसित करते 

और आज उन्हें विनाश के मुहाने खडा करते देखा है  

मैंने आदमी को देखा है। 


खेल



कंचे गुल्ली डंडे से लेकर फुटबॉल क्रिकेट तक
सभी खेल हो चुके है पुराने
और इन्हें खेलते खेलते ऊब चुके है हद तक
क्योंकि इनमे नही होते धमाके
नहीं बहता खून
नहीं मचती चीख पुकार
नहीं उजड़ते मांगो के सिन्दूर
नहीं होते बच्चे अनाथ
नहीं नेस्तनाबूत होते घर परिवार
और पल भर उजड़ता संसार

तो आओ खेले एक ऐसा खेल
जिसे कभी सिखाया था हमारे आकाओं ने
और हमने भी सीखा अच्छे शिष्यों की तरह
और खेले जिसे हम आजादी पाने के उन्माद में
खेले भागलपुर में
भिवंडी में
मलियाना में
दिल्ली में
गुजरात में
आसाम में
और मुज़फ्फरनगर में भी तो


तो शुरू करें खेल - "धरम गरम"
तू तू तू हिन्दू हिन्दू हिन्दू ऊ ऊ  ऊ ऊ.।
ये मारा एक लोना
गुजरात मेरा
तू तू तू तू मुस्लिम मुस्लिम म म म म म …
वो मारा एक लोना
और ये हुआ उत्तर प्रदेश मेरा
तू तू तू बांग्ला बंगला ला ला ला ला
वो मारा एक और लोना
हुआ आसाम मेरा

कितना आनन्द आ रहा है
एक के बाद एक लोना जीतते जा रहे है
तो फिर रुकना क्यों
लगातार खेलते जाना है
कब्जे में पूरा हिन्दुस्तान जो लाना है
क्रिकेट में तो विश्व चैंपियन है
इसका भी तो ताज पहनना है।

(लोना =कबड्डी में एक टर्म जो विपक्षी टीम के सभी खिलाडियों को आउट करने पर मिलता है और कुछ एक्स्ट्रा पॉइंट मिलते हैं )  

Monday 21 October 2013

भगवान सन्यास ले रहे है



            "मैंने भगवान् को देखा है वो भारत में नम्बर चार पर बैटिंग करने आता है।"
                                                                                                          मैथ्यू हेडन
                              और क्रिकेट का ये भगवान् अब सन्यास लेने जा रहा है ।

      एक लम्बे समय से जिसका इंतज़ार हो रहा था आखिर वो समय आ ही गया। क्रिकेट के भगवान यानी सचिन रमेश तेंदुलकर ने घोषणा कर दी कि अपने दो सौवे टेस्ट मैच के बाद वे टेस्ट मैच से भी सन्यास ले लेंगे। बी सी सी आई ने घोषणा की है कि ये मैच वानखेड़े स्टेडियम मुंबई में नवम्बर में वेस्ट इंडीज के खिलाफ होगा। पिछले बीस सालों से वे भारतीय क्रिकेट टीम के अनिवार्य अंग बने हुए थे।उनका सन्यास क्रिकेट में एक ऐसा सूनापन भर देगा जिसे जल्दी भरना संभव नहीं होगा। ये वास्तव में दिलचस्प होगा उनका स्थान कौन  लेगा। 

         वे 'क्रिकेटिंग जीनियस' थे। उनमे क्रिकेट की जबरदस्त समझ थी। उनके बारे में कहा जाता है उनके पास हर बॉल को खेलने के लिए दो शॉट होते थे। ये उनकी महान प्रतिभा का ही प्रमाण है। उन्होंने तमाम नए शॉट ईजाद किए या  इम्प्रोवाईज़ किए। वे क्रिकेट के प्रति पूरी तरह समर्पित थे। उनका व्यक्तित्व भी बड़ा सौम्य था। मैदान में वे बड़े शांत दिखाई देते थे। क्रिकेट के प्रति उनका समर्पण और उनका व्यक्तित्व खिलाड़ी के रूप में उनके कद को और भी ऊँचा कर देता है। 

          लाखों  करोडों लोगों की तरह मैं भी सचिन का जबर्दस्त फैन रहा हूं। मेरे लिए भारतीय पारी का मतलब सचिन की पारी था। सैकड़ो बार ऐसा हुआ कि सचिन के आउट होते ही मेरे लिए भारतीय पारी समाप्त हो जाती थी और रेडियो या टी.वी.बंद हो जाता था और अगली इनिंग का इंतज़ार होने लगता था। अब सोचता हूँ क्या  गजब की दीवानगी थी ! सचिन ने अब इतने रिकार्ड्स बना दिए है की या तो वे टूटेगे ही नहीं और अगर टूटे भी तो बहुत समय लगेगा। और सच ये है कि मैं चाहता भी नहीं कि सचिन का कोई रिकॉर्ड टूटे भी। 

        अलग अलग प्रारूप में देखे तो कई खिलाड़ी उनसे आगे खड़े नज़र आते है। यहाँ बात मैं सिर्फ भारतीय खिलाडियों की ही कर रहा हूँ।और नज़रिया खेलते देखने का हो तो सचिन की तुलना में बहुत से ऐसे खिलाड़ी हैं जिन्हें देखने के लिए आप सचिन पर वरीयता देना चाहेंगे। टेस्ट में राहुल द्रविड़ का शानदार क्लासिक खेल और डिफेन्स,वी वी एस लक्ष्मण की कलात्मक बैटिंग या फिर जी. विश्वनाथ और मो. अज़हरुद्दीन का शानदार रिष्ट वर्क सभी सचिन पर भारी पड़ते हैं।एकदिनी क्रिकेट में वीरेंदर सहवाग का आक्रामक खेल या युवराज के लम्बे शॉट लगते देखना सचिन को भुला देने के लिए पर्याप्त हो सकता है। टी-20 में तो सचिन उतने सफल रहे ही नहीं। क्षेत्र रक्षण में भी वे ठीक ठाक ही थे।

        और इन सब के ऊपर अगर किसी एक खिलाड़ी का नाम में लेना मुझे लेना हो जिसे मैं खेलते देखने में सचिन के ऊपर वरीयता दूं तो वो नाम मोहिंदर अमरनाथ का है। मोहिंदर के खेलते देख कर हमेशा लगा कि क्रिकेट वास्तव में जेंटलमैन गेम है। वे बड़े ही इत्मिनान से खेलते थे। वेस्ट इंडीज के तेज गेंदबाजों को भी इस इत्मीनान से खेलते थे कि ऐसा लगता मानो हर बाल खेलने के लिए उनके पास बहुत सारा समय है। वे हुक बहुत किया करते थे।वे प्यार से सहला कर हुक कर बॉल बाहर भेजते थे।उन्हें खेलते देखकर आप को ऐसा महसूस होता था मानो उस्ताद बिस्मिल्लाह को या फिर उस्ताद अमजद अली खान साहब को सुन रहे है आपको लगता  कि मंद मंद समीर बह रही है। जैसे तितली फूलों  के साथ हठखेलिया कर रही हो। सही मायने में मोहिंदर को खेलते देखना मन को सुकून देता था।

         इतना सब होते हुए भी सचिन टोटलिटी  में महानतम खिलाड़ी हैं। कोई खिलाड़ी उनके सामने ठहर नहीं सकता है। आज टीम में जिस तरह का माहौल है उसमे सचिन जैसा खिलाड़ी सहज महसूस कर ही नहीं सकता। जिस तरह सीनियर खिलाड़ियों को एक एक कर बाहर का रास्ता दिखाया गया और जहाँ अहंकार सर चढ़ कर बोलता हो वहां सचिन का सन्यास लेना ही मुनासिब था। 

    सचिन भले ही तुम मैदान में ना दिखो। पर अपने फैन्स के दिलों में हमेशा रहोगे। हमेशा उनके दिलों पर राज़ करोगे।  क्रिकेट के इतिहास में लाखों सितारों के बीच सूर्य की भांति हमेशा चमकते रहोगे। विदा सचिन !खेल के मैदान से !! विदा सचिन !!!

ये हार भारतीय क्रिकेट का 'माराकांजो' है।

आप चाहे जितना कहें कि खेल खेल होते हैं और खेल में हार जीत लगी रहती है। इसमें खुशी कैसी और ग़म कैसा। लेकिन सच ये हैं कि अपनी टीम की जीत आपको ...