हवा बदल गई है
अब हवाएँ ज़हरीली हो गई हैं
धुआं हवाओं को धमकाता है
फ़िज़ाओं में ज़हर मत घोलों
हवाएँ स्तब्ध हैं
निस्पंद हैं
जिससे एक निर्वात पैदा हो गया है
और उसमें सब ऊपर नीचे हो रहे हैं
बिना पेंदी के।
आप चाहे जितना कहें कि खेल खेल होते हैं और खेल में हार जीत लगी रहती है। इसमें खुशी कैसी और ग़म कैसा। लेकिन सच ये हैं कि अपनी टीम की जीत आपको ...
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