Thursday 18 June 2015

स्वागत नए चैम्पियन और नए स्टार का

चित्र गूगल से साभार 

                                कभी कभी कुछ चीजों का घटना सपने का हक़ीक़त में बदल जाने जैसा होता है। मंगवार की रात जब क्लीवलैंड ऑहियो के 'द क्यू' के नाम से प्रसिद्ध क्विकें लॉन्स एरीना के सेंटर कोर्ट में गोल्डन स्टेट वारियर्स और क्लीवलैंड कैवेलियर्स के बीच एनबीए के फाइनल्स का छठा गेम समाप्त हुआ तो गोल्डन स्टेट टीम के लिए 40 सालों से संजोया सपना उनका अपना बन चुका था।गहराती रात में झूमते खिलाड़ियों के चेहरों से निकलता तेज़ और छलकती खुशी इस बात को बयां करने के लिए पर्याप्त थी कि जीत किसी टीम के लिए क्या मायने रखती है। छठे गेम में गोल्डन  स्टेट वारियर्स टीम ने सच्चे योद्धाओं की तरह खेलते हुए एनबीए के संभवतः सबसे बेहतरीन खिलाड़ी लेब्रोन जेम्स की अगुआई वाली क्लीवलैंड कैवेलियर्स की टीम को 105 -97 अंकों से हराया तो वे सात मैचों की सीरीज 4 -2 से जीत कर इतिहास बना चुके थे। 1962 में वेस्टर्न कोन्फेरेंस में आने के बाद गोल्डन स्टेट ने केवल एक बार 1975 में एनबीए खिताब जीता था। हालांकि 1947 और 1956 में भी वे चैम्पियनशिप जीत चुके थे। वारियर्स की टीम पिछले चालीस वर्षों  की नाकामयाबी भुला कर स्टीफेन करी और क्ले थॉम्पसन की अगुआई में पूरे सत्र में चैंपियन की तरह खेली। उन्होंने शानदार ले अप और 3पॉइंटर किए। बढ़िया रिबाउंड लिए, बेहतरीन टर्न ओवर किए शानदार स्टील भी।अपने खेल में रक्षण और आक्रमण का बेहतर संतुलन का समावेश किया। गोल्डन  स्टेट के खिलाडियों के हाथों की उँगलियों के पोरों से  जब भी गेंद छूटती थी तो कुछ जादू सा कुछ अविश्वसनीय सा कर गुज़र जाती थी।  सामान्यतः टीमें 3पॉइंटर में बहुत ज़्यादा विशवास नहीं रखतीं पर इस टीम ने आरंभ से ही इसी रणनीति पर भरोसा किया। निश्चित ही क्ले और करी ने अद्भुत खेल दिखाया। केवल प्लेऑफ मुकाबलों में करी ने 95 3पॉइंटर बास्केट की। इससे पहले का केवल 53 बास्केट का रेकॉर्ड है। वैसे पूरे सीज़न में करी ने सबसे ज़्यादा 276 और उसके बाद उनके साथी खिलाड़ी क्ले ने 223 3पॉइंटर बास्केट कीं। करी ने अपने खेल से दिखाया कि उन्हें इस साल का एमवीपी का खिताब यूँ ही नहीं मिला।
चित्र गूगल से साभार 
                  दरअसल ये मुकाबला दो टीमों के बीच ही नहीं बल्कि दो बड़े खिलाड़ियों-लेब्रोन जेम्स और स्टीफेन करी के बीच भी था।एक तरफ 6फुट 8इंच लंबे और 113 किलो वज़न के लहीम शहीम खूंखार से दिखाई पड़ने वाले लेब्रोन थे। जब वे स्वयं को एनबीए का सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी बता रहे थे तो उसमें अतिश्योक्ति नहीं थी। उनके बड़े खिलाड़ी होने का अंदाज़ा इस बात से लगाया जा सकता है कि वे दो बार के एनबीए चैम्पियन,चार बार के एमवीपी,दो बार के फाइनल्स के एमवीपी,11 बार आल स्टार टीम में  रह चुके थे। जबकि 6 फुट 3 इंच लम्बे और 86 किलो वजन के लेब्रोन की तुलना में साधारण कद काठी वाले मासूम से चेहरे वाले स्टेफन करी इससे पहले कोई बड़ा नाम नहीं थे। लेकिन इस बार दोनों ने असाधारण खेल दिखाया और अपनी अपनी टीमों को फाइनल तक पहुँचाया। एक ले अप और डंक का माहिर तो दूसरा 3पॉइंटर का। दोनों ने फाइनल में भी शानदार खेल दिखाया। लेब्रोन ने फाइनल्स में 35. 8 की औसत से अंक,13. की औसत से रिबाउंड और 8.8 की औसत से असिस्ट किया। लेकिन इसके बावजूद लेब्रोन वो नहीं कर सके जो करी ने कर दिखाया यानि अपनी टीम को चैम्पियन नहीं बना सके। अंतर इस बात का था कि लेब्रोन संग्राम में अकेले महारथी थे जबकि करी के साथ क्ले, ईगोड़ाला तथा अन्य खिलाड़ी कंधे से कंधा मिलाकर साथ खेल रहे थे। गोल्डन स्टेट वारियर्स एक मज़बूत टीम के रूप में लेब्रोन और एनबीए टाइटल के चट्टान की तरह अड़े थे जिसे भेद पाना लेब्रोन और उनकी टीम क्लीवलैंड कैवेलियर्स के लिए असंभव था। नए चैम्पियन और नए स्टार का स्वागत।

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