Tuesday 9 June 2015

क्या असंभव कुछ नहीं

                                  




                  फ्रांस की धरती से ही महान सेनापति नेपोलियन ने घोषणा 

की थी कि 'असंभव' शब्द उसके शब्दकोष में नहीं है। तब आज  

तक ना जाने कितने लोगों ने उससे प्रेरणा ली होगी। और निश्चित हीजब 

आज शाम विश्व के न. एक खिलाड़ी नोवाक जोकोविच ने स्टेनीलास 

वारविंका के खिलाफ खेलने के लिए पेरिस के रोलां गैरों के सेंटर कोर्ट की 

लाल मिट्टी की सतह पर कदम रखे होंगे तो उनके दिमाग में नेपोलियन 

का वो कथन लगातार प्रहार कर रहा होगा। वे अपना नाम टेनिस के उन 

सात महान खिलाड़ियों की सूची में लिखवाने को बेताब होंगे जिन्होंने 

टेनिस की चार ग्रैंड स्लैम प्रतियोगिता जीत कर अपना लाइफटाइम ग्रैंड 

स्लैम पूरा किया है। वे क़्वाटर फाइनल में लाल मिट्टी के सुपरमैन नडाल 

को और सेमी फाइनल में अपने लक्ष्य के सबसे बड़े प्रतिद्वंदी एंडी मरे को 

रास्ते से हटा चुके थे। वे जानते हैं कि वे 28 के हो चुके हैं।और समय रेत 

की तरह उनके हाथ फिसल रहा है। अब उन्हें केवल एक बाधा पार करनी 

थी।लेकिन वे इतिहास बनाने की जगह इतिहास को दोहरा रहे थे। 2012 

और 2014 की तरह वे एक बार फिर फाइनल में हार गए।ये सिद्ध करनेके 

लिए कि 'उनके शब्द कोष में भी असंभव शब्द नहीं है' बारह महीनों का 

लंबा इंतज़ार करना होगा। इस बीच सीन नदी में बहुत पानी बह चुका 

होगा और उनके आंसू मृत सागर के खारेपन को कुछ और बढा चुके होंगे।




No comments:

Post a Comment

ये हार भारतीय क्रिकेट का 'माराकांजो' है।

आप चाहे जितना कहें कि खेल खेल होते हैं और खेल में हार जीत लगी रहती है। इसमें खुशी कैसी और ग़म कैसा। लेकिन सच ये हैं कि अपनी टीम की जीत आपको ...