Thursday 21 April 2016

गुडबॉय माम्बा

                  
(गूगल से साभार)

          







 बीते बुधवार 13 अप्रैल 2016 की गहराती जाती रात में लॉस एंजिलिस के स्टेपल्स सेंटर एरीना में ज़ाहिरा तौर पर तो दो टीमों-उथाह जैज और लॉस एंजिलिस लेकर्स के बीच एनबीए का मैच भर होना था। लेकिन वास्तव में स्टेपल्स सेंटर एरीना एक ऐतिहासिक और अविस्मरणीय  घटना के घटने का साक्षी ही नहीं बन रहा था बल्कि उसका भागीदार  भी बन रहा था। दरअसल वहां उस समय 28 मीटर लम्बे और 15 मीटर चौड़े मैदान, नौ फ़ीट ऊँचे बोर्ड पर टंगी 45 सेंटीमीटर दो रिंग और 39 सेंटीमीटर व्यास वाली एक अदद गेंद के साथ 6 फ़ीट 6 इंच लंबे दुबले पतले एक खिलाड़ी के अटूट सम्बन्धों की कहानी का उपसंहार लिखा जाना था।यहां पर केवल ये इतिहास भर नहीं लिखा जाना था कि अमेरिकी बास्केटबाल खिलाड़ी माइकल जॉर्डन के बाद दूसरा सबसे बड़ा खिलाड़ी खेल जीवन से संन्यास लेने जा रहा था बल्कि उस मैच में खुद उसके द्वारा अपने असाधारण खेल से एक इतिहास रचा जाना था । उसने इस मैच में 60 अंक बनाए और तीसरे क्वार्टर तक 12 अंकों से पिछड़ने के बाद भी लेकर्स को 101-96 से जीत दिला दी। अमेरिकी खेल इतिहास की और विशेष रूप से एनबीए इतिहास में ये किसी भी खिलाड़ी की अब तक की सबसे शानदार विदाई थी। उस एरीना की दर्शक दीर्घा में बैठे  18 हज़ार दर्शक उस खिलाड़ी के जादुई खेल को मंत्र मुग्ध से देख रहे थे और उस अद्भुत खेल की अपने भीतर प्रतिच्छायाएं स्थायी तौर पर बसा रहे थे क्योंकि वे जानते थे कि उस खिलाड़ी द्वारा कोर्ट में जो स्पेस अपने लिए बनाया गया है वो अब  खाली ही रहना है। जब भी उस स्पेस में उस खिलाड़ी को देखना चाहेंगे तो वे प्रतिच्छायाएं ही काम आनी थी जो उन्होंने आज अपने मन में स्थापित की हैं।वो खिलाड़ी  कोई और नहीं बल्कि  कोबे बीन ब्रायंट था जो अपना आखरी मैच खेल रहा था और इस बीस साल लम्बी कहानी का आरम्भ 1996 में उस समय था जब 17 साल के युवा कोबे को एनबीए में ड्राफ्ट किया गया था।


(गूगल से साभार)


          दरअसल कुछ खिलाड़ी  में इतने बड़े हो जाते हैं वे खेल के नाम से नहीं जाने जाते बल्कि खेल उनके नाम से जाना जाता है। फुटबाल में पेले और माराडोना,क्रिकेट में ब्रेडमैन और सचिन,हॉकी में ध्यानचंद,बैडमिंटन में रूडी हार्टोनो और लिम स्वी किंग,एथलेटिक्स में पावो नूरमी और जैसी ओवेन्स,टेनिस में ब्योन बोर्ग,पीट सैम्प्रास या रोजर फेडरर और बास्केटबाल में माइकल जॉर्डन।  निसंदेह कोबे ब्रायंट भी उसी श्रेणी के खिलाड़ी हैं। जिसके हिस्से में 5एनबीए चैंपियनशिप,एक एमवीपी,दो फाइनल एमवीपी,18 एनबीए आल स्टार और दो ओलम्पिक स्वर्ण पदक हो और जिसने 33643 अंक बनाए हो जो एनबीए में तीसरे सबसे ज्यादा पॉइंट हैं, जिसने एक मैच में अकेले 81 अंक बनाए हो जो एनबीए इतिहास में दूसरा सबसे बड़ा व्यकिगत स्कोर है वो महानतम ही हो सकता है। ऐसे खिलाड़ी जब भी अपना बनाया स्पेस खाली करते हैं तो उसे भरना बहुत मुश्किल होता है।  उनका जाना एक ऐसा निर्वात बना देता है जिसकी सीमाओं पर प्रतिभाओं की हवाएं लगातार प्रहार करती हैं लेकिन उसमें प्रवेश नहीं कर पाती,उस स्पेस का अतिक्रमण नहीं कर पाती। कोबे ने भी जो स्पेस खाली किया है उसे भरना असम्भव नहीं भी हो तो भी उसे भरना अत्यन्त दुष्कर अवश्य है। अब खेल के मैदान में तुम खेलते नहीं दिखाई दोगे ,ये तो बस मन में बसी प्रतिच्छायाओं में ही संभव होगा। खेल के  मैदान से अलविदा माम्बा,ब्लैक माम्बा।
(गूगल से साभार)


Friday 1 April 2016

प्रेम


ताजमहल को देख समझ आता है 
कितना मुश्किल है एक शब्द को 
आकार दे पाना 
लैला मजनू ,हीर रांझा ,शीरी फरहाद के किस्से पढ़ समझ आता है 
कितना मुश्किल है एक शब्द को 
निभा पाना 
पद्मावती के जौहर को जान समझ आता है 
कितना मुश्किल है एक शब्द से 
गीलेपन को सोख पाना 
खाप पंचायतों के फतवों को सुन समझ आता है
कितना मुश्किल है एक शब्द को 
जी पाना  
फिर भी ज़ुर्रत होती है 
एक शब्द को गले लगा पाने की 
आओ 
मैं और तुम भी करें वही ज़ुर्रत 
हम भी एक शब्द को दें 
आकार 
विस्तार 
छुअन 
कुछ रंग
जीवन  
और लिख दें ज़िंदगी पर एक शब्द 
प्रेम। 
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ये हार भारतीय क्रिकेट का 'माराकांजो' है।

आप चाहे जितना कहें कि खेल खेल होते हैं और खेल में हार जीत लगी रहती है। इसमें खुशी कैसी और ग़म कैसा। लेकिन सच ये हैं कि अपनी टीम की जीत आपको ...