Wednesday 14 September 2016

Wow!rinka ..


                                                                          
                    इस बात में कोई शक शुबहा नहीं कि वारविंका बड़े मैचों के खिलाड़ी हैं। उन्होंने अब तक तीन ग्रैंड स्लैम फाइनल खेले हैं और तीनों ही जीते हैं। 2014 में ऑस्ट्रेलियन,2015 में फ्रेंच और अब 2016 में यू एस ओपन। इनमें से दो नोवाक जोकोविच के विरुद्ध। 31 साल की उम्र में यू एस ओपन जीतने वाले केन रोजवेल के बाद सबसे उम्रदराज खिलाड़ी हैं। टेनिस के फैबुलस फोर के वर्चस्व को अगर किसी ने चुनौती दी है तो वारविंका ने ही। फैबुलस फोर यानि रोजर फेडरर,एंडी मरे,राफेल नडाल और नोवाक जोकोविच। पिछले लगभग 12 सालों में इन चारों के वर्चस्व को इस बात से समझा जा सकता है कि 47 ग्रैंड स्लैम में से 42 इन चारों ने जीते हैं। बाकी 5 में 2009 में यू एस डेल पोत्रो ने और 2014 में सिलिच ने और शेष तीन वारविंका ने। इसके बावज़ूद भी स्टेनिलास वारविंका 31 की उम्र में इन चारों के उत्तराधिकारी बन पाएंगे मुश्किल लगता है। और इसीलिए वारविंका की जीत से ज़्यादा महत्वपूर्ण नोवाक की हार है। ये हार नोवाक के खेल करियर के ढलान का और टेनिस जगत के 'फैबुलस फोर' के पराभव का  संकेत तो नहीं ? रोज़र फेडरर का समय समाप्त है। राफा का चोट से उबरना अब मुश्किल लगता है। मरे सबसे अधिक अनिश्चित के शिकार हैं।  अभी नोवाक ही सबसे बड़े खिलाड़ी हैं। लेकिन फ्रेंच ओपन जीतने के बाद वे काफी संतुष्ट लग रहे हैं। जिस तरह से ओलम्पिक और यू एस में अनफिट दिखे कहीं उनका हस्र भी नडाल जैसा ना हो। ऐसे में टेनिस में निर्वात बनेगा उसे भरने के लिए निशिकोरी,सिलिच,किर्गियोस जैसे नए खिलाड़ियों के लिए बेहतरीन मौक़ा होगा। फिलहाल नए चैम्पियन का स्वागत। 

No comments:

Post a Comment

ये हार भारतीय क्रिकेट का 'माराकांजो' है।

आप चाहे जितना कहें कि खेल खेल होते हैं और खेल में हार जीत लगी रहती है। इसमें खुशी कैसी और ग़म कैसा। लेकिन सच ये हैं कि अपनी टीम की जीत आपको ...