Saturday 7 January 2017

उरूज पर जो हैं ना




उरूज पर जो हैं ना
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एक शोख़ शरारत करने का दिल करता  है 
ये जो तुम्हारे खूबसूरत से पाँव हैं ना 
चुपके से छूकर 
दिल की धड़कनें बढ़ाने का  दिल करता है 

एक शोख़ शरारत करने का दिल करता  है 
ये जो तुम्हारे नरम मुलायम से हाथ हैं ना 
चुपके से छूकर 
दिल के जज़्बात बेकाबू करने का दिल करता है 

एक शोख़ शरारत करने का दिल करता  है 

ये जो तुम्हारी झील सी ऑंखें हैं ना 
चुपके से छूकर 
खुद को तुम में समा देने का दिल करता है 

एक शोख़ शरारत करने का दिल करता  है 

ये जो तुम्हारे गुलाबी से होंठ  हैं ना 
चुपके से छूकर 
तुममें घुल जाने का दिल करता है 

ये जो मेरा ख्वाहिशों से भरा दिल है ना 

और दिल में जो शोख शरारतें हैं ना
आखिर उरूज पर  हैं ना
इसलिए कुछ करने का दिल करता है 
कुछ होने का दिल करता है। 

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ये दिल आखिर ख्वाहिशों से भरा क्यूँ होता है। 

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