Sunday 23 April 2017

फेसबुक की दुनिया_३

                        


                         ये जो आभासी दुनिया है ना ये वास्तविक दुनिया के समानान्तर एक और दुनिया रचती है।तमाम सम्भावनाओं के साथ।बिलकुल वास्तविक दुनिया जैसी खूबियों के साथ। वास्तविक दुनिया से घात-प्रतिघात करते हुए। एक दूसरे की सीमाओं का अतिक्रमण करते हुए।एक दूसरे की सीमाओं को विस्तार देते हुए। वास्तविक जीवन में अभिव्यक्ति के लिए एक तो अवसर और स्पेस बहुत ही कम उपलब्ध है।जो थोड़ा बहुत उपलब्ध है वे भी लगातार संकुचित होते जा रहे हैं। ऐसे में आभासी दुनिया एक अतिरिक्त स्पेस उपलब्ध कराती है।वो अव्यक्त जो भीतर ही भीतर कंप्रेस होता जाता है,जैसे ही मुखपुस्तिका के आभासी संसार के खाली स्पेस में प्रवेश करता हैं,छलक छलक पड़ता है। अलग अलग रंगो में। अलग अलग रूपों में। अलग अलग मात्रा में। तब बनती हैं खूबसूरत दीवारें। मुख पुस्तिका पर उपस्थित लोगों की दीवारें। भीतर छुपे की अभिव्यक्ति पाने की चाह से बनी भित्तियाँ। दीवारें जो उनके भीतर छुपे की भित्ती होती है।भित्तियां जो उनके अनुभवों,उनके सपनों,उनकी इच्छाओं,उनके उसूलों,उनके संघर्षों,उनकी हारों,उनकी जीतों के खूबसूरत रंगों से बनी होती हैं। भित्तियाँ जिन्हें जतन से,मेहनत से सजाया गया है।आप घूमिये। देखिये। और चमत्कृत होते जाइये। 
                                ये एक ऐसी ही दीवार है।यथार्थ के कैनवास पर भावनाओं की तूलिका से कल्पनाओं के रंग से बनी अद्भुत भित्ती। इसमें यथार्थ का स्याह रंग है,उम्मीदों का उजला रंग है,विश्वास का चमकीला रंग है,संघर्षों का गाढ़ा रंग है,नेह का सुर्ख़ रंग है,सपनों का सुनहरा रंग है। संघर्षों के ताप से तपी यथार्थ की रूक्ष भूमि पर सपनों और उम्मीदों की बूंदों से निर्मित भित्ती सी। जेठ की तपती गर्मी से जलती धरती पर सावन के पहली बारिश के पड़ने से उठती सौंधी महक से लबरेज पुरवाई लोगों को  जिस अनिर्वचनीय आनंद से अभिभूत करती है वैसे ही ये भित्ती अभावों के ताप से तपती यथार्थ की भूमि पर सपनों की बूंदों के पड़ने से नेह की खुशबू से लदी उम्मीदों की पवन से आपादमस्तक पोर पोर सुवासित और मदहोश करती जाती है।ये यथार्थ की दुनिया की घोर अतृप्त आकांक्षाओं के प्रतिक्रिया स्वरुप कल्पनाओं और उम्मीदों से बनी रंग बिरंगी दुनिया है या फिर यथार्थ दुनिया के खूबसूरत अनुभवों और नेह संस्कारों से विस्तारित सीमाओं से बनी दुनिया है ये दीवार। बड़े श्रम से सजाई गई मन के आसमां की प्रतिकृति है ये दीवार। छोटी छोटी उम्मीदों और छोटे छोटे सपनों से ज़िंदगी का बड़ा कोलाज़ बनाती सी है ये दीवार।नाउम्मीदी की काली रात में उम्मीदों की शीतल सुनहरी चांदनी सी है ये दीवार। जीवन की रात में एक अद्भुत तिलिस्म रचती और इंद्रजाल की भूल भुल्लैया में भटकाती है ये दीवार।   
                               अगली बार जब आप इस आभासी दुनिया में प्रवेश करें तो आस पास बिखरे जीवन के अद्भुत रंगों से बनी इन दीवारों को खोजिए। ये अद्भुत तिलिस्म है दोस्तों। महसूस कीजिए। 
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आभासी दुनिया के रंग _३ 

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