Sunday 14 May 2017

कम ऑन राफा !



                           

                           यूँ कहने को तो ये मैच साल भर चलने वाले एटीपी मास्टर्स टूर्नामेंट्स में से एक और साल के दूसरे ग्रैंड स्लैम फ्रेंच ओपन से ऐन पहले होने वाले मेड्रिड ओपन टेनिस प्रतियोगिता का रूटीन सेमीफाइनल मैच भर था।  उस लिहाज़ से कोई बड़ा मैच नहीं था। लेकिन किसी मैच को बड़ा कोई इवेंट नहीं बल्कि प्रतिद्वंदी खिलाड़ियों का कद और उनकी प्रतिद्वंदिता की इंटेंसिटी बनाती है। कल मेड्रिड ओपन का पहला सेमीफाइनल मैच हमारे समय के दो महान खिलाड़ियों नोवाक जोकोविच और राफेल नडाल के बीच था। दरअसल ये इन दोनों के बीच होने वाला 50वां मैच था जो टेनिस इतिहास में ओपन युग का किन्ही दो खिलाड़ियों की आपसी प्रतिद्वंदिता के मैचों का पहला पचासा था।आधुनिक टेनिस का इतिहास फेबुलस फोर-फेडरर/नडाल/जोकोविच/मरे-का इतिहास है और उनके बीच प्रतिद्वंदिता का इतिहास है।ये चारों मिलकर 48 ग्रैंड स्लैम ख़िताब जीत चुके हैं। हमारे समय की टेनिस पर इन चारों के प्रभुत्व का अंदाज़ा इस बात से लगाया जा सकता है कि पहली चार प्रतिद्वंद्विताएं आपस में इन चारों के नाम हैं यानी जोकोविच बनाम नडाल 50 मैच,जोकोविच बनाम फेडरर 45 मैच,फेडरर बनाम नडाल 37 मैच,जोकोविच बनाम मरे 36 मैच। तब जाकर पांचवें नम्बर पर इवान लैंडल बनाम मैकनरो (36 मैच) की प्रतिद्वंदिता आती है। 
                          इन चार 'फेबुलस फोर 'को पसंद करने के अपने अपने कारण हो सकते हैं। पहले आप इन चारों के रंग रूप,कद काठी,चहरे मोहरे,उनके अंदाज़,मैदान पर उनके व्यवहार को ध्यान से देखिए। जहां फेडरर,मरे और जोकोविच अभिजात्य से लगते हैं वहीं नडाल अकेले ऐसे हैं जो मध्यम वर्ग के प्रतीत होते हैं। अब चारों के खेलने की शैली को बूझिए। पहले तीनों को कृत्रिम तेज सतह रास आती हैं। ये तीनों तेज सर्व एंड वॉली के पॉवर गेम में अपने को कम्फर्टेबल महसूस करते हैं। वे खेल के दौरान पूरी प्रोसीडिंग पर नियंत्रण रखने में माहिर हैं। इन तीनों को ही धीमी सतह रास नहीं आती। तभी तो फेडरर 18 और जोकोविच अपने 13 ग्रैंड स्लैम में से धीमी मिट्टी की सतह वाले फ्रेंच ओपन को केवल बमुश्किल एक एक बार जीत पाए हैं। जबकि मरे को अभी इसे जीतना बाकी है। इसके विपरीत नडाल को धीमी सतह रास आती है। वे बेसलाइन से टॉप स्पिन से प्रतिद्वंदी को छकाते हैं। फील्ड में हद से ज़्यादा चपल दीखते हैं और ज़्यादा भागदौड़ भी। वे मिट्टी की सतह पर लगभग अपराजेय हैं। उन्होंने अपने 14 ग्रैंड स्लैम खिताबों में से 9 फ्रेंच ओपन की लाल बजरी वाली सतह पर जीते हैं। शायद अपनी पूरी आभा में मध्यम वर्ग के से प्रतीत होने के कारण ही वे ज़मीन के अधिक करीब प्रतीत होते हैं और शायद मिट्टी भी उनको ज़्यादा अपना समझती है और खुद पर उनको अपराजेय बना देती है। और अपनी इसी मध्यमवर्गीय आभा मंडल के कारण अधिक आकर्षित करते हैं और ज़्यादा अपने लगते हैं। 
                                    फिलहाल जोकोविच के विरुद्ध अपने इस ऐतिहासिक 50वे मैच में उन्होंने शानदार खेल दिखाया और सीधे सेटों में 6-2 ,6-4 से हरा कर 2014 में फ्रेंच ओपन के बाद से लगातार सात मैचों के हारने के क्रम को ही नही तोड़ा बल्कि इस साल मिट्टी की सतह पर अपने रिकार्ड को 14-0 कर इस सात मिट्टी की सतह पर तीसरे खिताब को जीतने की तरफ मज़बूती से कदम बढ़ा दिए हैं।  इस समय वे अपनी पुरानी लय में  लौट चुके हैं। जोकोविच के खिलाफ नडाल किस तरह हावी थे ये इस बात से जाना जा सकता है कि पहले सेट के चार गेम में जोकोविच केवल चार पॉइंट जीत सके।  
                 जिस तरह नडाल खेल रहे हैं और जिस तरह की फॉर्म में वे हैं यकीन मानिए 11 जून को रोलां गैरों के मैदान पर एक नया इतिहास लिखा जा रहा होगा। वे कोई एक ग्रैंड स्लैम को दो अंकों में जीतने वाले पहले खिलाड़ी बन रहे होंगे औरपूरी दुनिया उन्हें अपने असाध्य श्रम के बूते दोनों हाथों के बीच फंसी 'कूप दे मस्केटियर'ट्रॉफी को अपने होठों से चूमते देख रही होगी।  
                                                                   कम ऑन राफा !

No comments:

Post a Comment

ये हार भारतीय क्रिकेट का 'माराकांजो' है।

आप चाहे जितना कहें कि खेल खेल होते हैं और खेल में हार जीत लगी रहती है। इसमें खुशी कैसी और ग़म कैसा। लेकिन सच ये हैं कि अपनी टीम की जीत आपको ...