Sunday 11 June 2017

ला डेसिमा/ए परफेक्ट टेन



ला डेसिमा/ए परफेक्ट टेन 
------------------------------

आज रविवार की शाम फ्रांस के खूबसूरत शहर पेरिस के रोलां गैरों के फिलिप कार्टियर सेंटर कोर्ट की लाल मिट्टी पर जब राफेल नडाल अपने प्रतिद्वंदी स्टेनिलास वारविंका को मिट्टी की सतह पर टेनिस खेलने का सबक सिखाते हुए 6-2,6-3,6-1 से जीत दर्ज़ कर रहे थे तो वे केवल अपना दसवां फ्रेंच ओपन खिताब ही नहीं जीत रहे थे बल्कि 16 वीं शताब्दी के महान स्पेनिश  लेखक और संगीतकार विंसेंट एस्पिनल की तरह ही एक खूबसूरत 'डेसिमा' कविता लिख रहे थे जिसे एस्पिनल की कविताओं और संगीत की तरह ही उनके देश वासी लम्बे समय तक गुनगुनाते रहेंगे।डेसिमा के दस पंक्तियों वाले स्टेंज़ा को उन्होंने 2005 में लिखना शुरू किया और 2017 में पूरा किया। ओपन एरा में कोई भी ग्रैंड स्लैम 10 बार जीतने वाले वे पहले खिलाड़ी हैं। इस साल के शुरू में जब ऑस्ट्रेलियन ओपन का नडाल और फेडरर के बीच जो फाइनल मैच खेला गया वो केवल फाइनल मैच भर नहीं था बल्कि आधुनिक टेनिस इतिहास के पहले और दूसरे पायदान को निर्धारित करने वाला मैच भी था और उस क्लासिक मैच में फेडरर ने बाज़ी मारी थी। लेकिन आज नडाल ने बताया कि वे भी नम्बर दो नहीं हैं।हाँ सतह का फ़र्क़ हो सकता है। मिट्टी की सतह पर वे सार्वकालिक महानतम हैं इसमें किसी तरह का कोई शक नहीं किया जा सकता है। ये परफेक्ट 10 था-'ला डेसिमा'।इतना भर नहीं पहले मोंटो कार्लो और बार्सेलोना के क्ले कोर्ट पर और अब यहाँ पर दसवां खिताब जीत कर 'ट्रिपल टेन' पूरा किया। 
                       यहां पर याद कीजिये रियाल मेड्रिड फ़ुटबाल क्लब के दसवें यूरोपियन कप को जीतने के उसके ऑब्सेशन को कि 'ला डेसिमा' फ्रेज़ उसके इस ऑब्सेशन का समनार्थी बन गया था। उसने यूरोपियन कप जिसे अब चैम्पियंस लीग के नाम से जाना जाता है,नौवीं बार 2002 में जीता था। उसके बाद उसे 12 सालों तक प्रतीक्षा करनी पडी थी। तब जाकर 2014 में रियाल मेड्रिड की टीम अपना दसवां खिताब जीत सकी थी। लेकिन नडाल को केवल दो वर्ष लगे। 
                   नडाल ने अपना नौवा खिताब 2014 में जीता था। उसके बाद के दो वर्ष चोटों और ख़राब फॉर्म के रहे। एक बारगी लगाने लगा था कि उनकी वापसी की संभावनाएं ख़त्म हो गई हैं।लेकिन उन्होंने चैम्पियन की तरह वापसी की।इस साल वे चोट से उबरे और साल के पहले ही ग्रैंड स्लैम ऑस्ट्रेलियन ओपन के फाइनल में पहुँच कर अपनी फॉर्म की वापसी की घोषणा कर दी थी।और फिर मिट्टी की सतह पर तो वे लगभग अपराजेय से थे। वे इस पूरे सीजन में केवल एक मैच हारे रोम मास्टर्स के फाइनल में डोमिनिक थिएम से। 
                   फ्रेंच ओपन में उनकी जीत क्ले कोर्ट पर उनकी श्रेष्ठता को प्रदर्शित करती है। उन्होंने इस पूरी प्रतियोगिता में एक भी सेट नहीं हारा। इस प्रतियोगिता में उन्होंने ऐसा तीसरी बार किया।सेमीफइनल में थिएम को सीधे सेटों में हराया जिसने नोवाक को हरा कर सेमीफाइनल में प्रवेश किया था और इस प्रतियोगिता से ऐन पहले रोम मास्टर्स के फाइनल में नडाल को हराया था। वारविंका से फाइनल में कड़े संघर्ष की उम्मीद की जा रही थी। इस पूरी प्रतियोगिता में वारविंका भी ज़बरदस्त फॉर्म में थे। उनके पक्ष में कई बातें थी। उनमें गज़ब का स्टेमिना है जो इस समय किसी टेनिस खिलाड़ी के पास नहीं है। 30 डिग्री तापमान में खेलने के लिए वे शारीरिक रूप से सबसे अधिक सक्षम थे। उन्होंने अब तक के तीनों ग्रैंड स्लैम फाइनल जीते थे। और इस बार उन्हें नडाल की चौथी वरीयता के मुक़ाबले तीसरी वरीयता दी गई थी।उनका सबसे शक्तिशाली अस्त्र उनके ज़बरदस्त फोरहैंड शॉट्स थे जिसे वे इस बार बहुत शानदार तरीके से लगा रहे थे। दूसरी और नडाल की भी सबसे बड़ी ताक़त उनके फोरहैंड शॉट्स ही थे।वे दोनों एक दूसरे को फोरहैंड शॉट्स खेलने से नहीं रोक सकते थे। ऐसे में ज़रूरी था कि वे अपने प्रतिद्वंदी को फोरहैंड शॉट्स को पोजीशन ना करने दें। आज नडाल ऐसा करने में सफल रहे। उन्होंने शानदार सर्विस की और इतने ज़बरदस्त क्रॉसकोर्ट और डाउन द लाइन फोरहैंड शॉट्स लगाए कि वारविंका अपने शॉट्स तो दूर की बात थी खुद को भी पोजीशन नहीं कर पाए।
                   दरअसल ये एकतरफ़ा फाइनल था जिसमें एक महान स्पेनिश खिलाड़ी बाल और रैकेट से लाल मिट्टी पर शानदार डेसिमा की रचना कर वहां बैठे हज़ारों दर्शकों को सुना रहा था।खुद उनका प्रतिद्वंदी मंत्र मुग्ध सा उन्हें सुन और देख रहा था और वो था कि टेनिस जगत में एक असाधारण इतिहास लिख रहा था।  








No comments:

Post a Comment

ये हार भारतीय क्रिकेट का 'माराकांजो' है।

आप चाहे जितना कहें कि खेल खेल होते हैं और खेल में हार जीत लगी रहती है। इसमें खुशी कैसी और ग़म कैसा। लेकिन सच ये हैं कि अपनी टीम की जीत आपको ...