Sunday 5 November 2017

जीना




                                                 जीना


कुछ चीजें बहुत कठिन होते हुए भी 
बेहद सरल होती हैं 
और 
सरल सी चीजें  उतनी ही कठिन 

जैसे समझना 

कि 
कुछ उन्मुक्त खिलखिलाहटें 
दिल के आसमा को 
उजास से भर जाती हैं 

कि 

स्निग्ध से कुछ शब्द
अभिव्यक्ति को 
नए अर्थों से भर देते हैं 

कि  

मदमाती देह गंध
मन में घुल कर 
मुलामियत का 
अहसास जगाती हैं 

कि 

कोई उजली सी आस
सपनों की दुनिया में 
खो जाने देती है 

कि 

स्नेह का मीठा सा स्पर्श
पूरे वज़ूद को ही 
स्पंदित कर जाता है 

गर ना हो ऐसा 

तो जीना भी क्या जीना है 
साँसों का आना जाना 
तो बस एक जैविक क्रिया का  
होना है। 
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अक्सर आसान चीजें कठिन और कठिन चीजें आसान सी क्यूँ लगती हैं ?

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