Friday 17 November 2017

रियली वी मिस यू इटली इन रशिया

                          

रियली वी मिस यू इटली इन रशिया

  'द आर्किटेक्ट' के नाम से प्रसिद्द इटली के आंद्रे पिरलो दुनिया के महानतम मिडफ़ील्डरों में से एक हैं।वे इटली की उस टीम के सदस्य थे जिसने 2006  में चौथी और आख़िरी बार फुटबॉल विश्व कप जीता था।वे 2001  से 2011 तक वे एसी मिलान के लिए खेले और सान सीरो उनका अपना पसंदीदा होम स्टेडियम था। 6 नवम्बर को जिस समय वे अपने 18 साल के गौरवशाली प्रोफेशनल कॅरियर की समाप्ति की घोषणा कर रहे थे उस समय उन्होंने सोचा भी नहीं होगा कि ठीक आठ दिन बाद 14 नवम्बर को उनका अपना सान सीरो स्टेडियम फुटबॉल महाशक्ति के रूप में अर्जित इटली के गौरव की कब्रगाह बन रहा होगा और उसकी प्रतिष्ठा धूल धूसरित हो रही होगी।केवल इटलीवासियों का ही नहीं बल्कि इटली की फुटबॉल के लाखों प्रसंशकों के भी दिल टूट रहे होंगे और वे हतप्रभ से हताश-निराश हो रहे होंगे।2018 के विश्व कप फाइनल्स में बहुत कुछ होगा पर इटली नहीं होगा। वो इटली जो फुटबॉल को जीता है और फुटबॉल में जीता है। जो अपने बेजोड़ अभेद्य रक्षण के लिए जाना जाता है। रक्षण जो 'कैटेनेसिओ' यानी 'द चेन ' के नाम से जग प्रसिद्द है। रक्षण जिसने जीनो डॉफ और बुफों जैसे गोलकीपर दिए और फ्रैंको बरेसी,पाओलो माल्दीनी,फैबिओ कैनावरो और चेलिनी जैसे डिफेंडर भी। 

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 उस दिन सान सीरो स्टेडियम में इटली की टीम 2018 के विश्व कप में खेलने की अहर्ता पाने के लिए अपना अंतिम मैच स्वीडन से खेल रही थी। स्वीडेन की टीम ने पहले चरण में स्टॉकहोम में इटली पर  1-0 की बढ़त बना ली थी और अब इटली को क्वालीफाई करने के लिए ये मैच हर हाल में जीतना था।पर मैच 0-0  से अनिर्णीत रहा। जैसे ही मैच समाप्त हुआ,75 हज़ार दर्शकों से खचाखच भरा सान सीरो स्टेडियम में गहरा सन्नाटा पसर गया,दर्शकों के चहरे शोक से मलिन हो गए,इनमें बहुत से चहरे ऐसे भी थे जिनकी आँखें अपने हीरो और इटली टीम के कप्तान 39 वर्षीय जियानलुइगी बुफों की आँखों की तरह ही बरस रही थी।बुफों इटली के ही नहीं विश्व के श्रेष्ठ गोलकीपर हैं।उनकी आँखों  से दुःख और ग्लानि बह रहे थे और ठीक वैसे ही उनके समर्थकों की आँखों से भी। इटली की टीम 1958 के बाद 60 सालों में पहली बार विश्व कप फाइनल्स की दौड़ से बाहर हो चुकी थी।

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आखिर ऐसा क्या हुआ कि रोबर्टो बैजियो,डिनो रॉस,डेल पिएरो,फैबिओ कनवारो,माल्दीनी,फ्रांसिस्को टोटी, पाओलो रोसी,डीनो जॉफ,क्रिस्चियन विएरी जैसे खिलाडी देने वाले देश की टीम को।वो शायद उनका दिन नहीं था। उस अनिर्णीत मैच में 24 के मुकाबले 76 प्रतिशत समय में गेंद पर कब्जा इटली का रहा,उन्होंने  कुल मिलाकर 27 शॉट गोल दागे और 40 क्रॉस शॉट लिए पर गोल नहीं कर पाए।   उनके पास कोई शानदार फिनिशर नहीं था और जो था उस पर कोच वेंचुरा का विश्वास नहीं था। लोरेंजो इन्सिग्ने नेपोली की टीम से खेलने वाले इटली के सबसे प्रतिभावान अटैकिंग मिडफील्डर हैं। उन्हें वेंचुरा ने स्वीडन के खिलाफ मैदान में उतारा ही नहीं और प्रथम चरण के मैच में भी उन्हें 14 मिनट खेलने का मौक़ा दिया। जिस समय टीम को जीत चाहिए थी उस समय वेंचुरा ने रक्षात्मक रणनीति अपनाई और इसी कारण वे भीषण आलोचना का केंद्र भी बने। 
                            
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दरअसल 2006 में विश्व कप जीतने के ही टीम अपने रंग में नहीं है। अगले दो विश्व कप 2010 और 2014 के लिए क्वालीफाई तो किया पर पहले  आगे नहीं बढ़ सकी। यूरोपियन कप में भी 2008 और 2016  में क्वार्टर फाइनल से आगे नहीं बढ़ सकी। 2006 के बाद एकमात्र उल्लेखनीय उपलब्धि 2012 के यूरोपियन कप के फाइनल तक पहुंचना था। जब 2016  में विश्व कप के लिए इटली ने अपना अभियान शुरू किया तो जियान पिएरो वेंचुरा को कोच बनाया जो इटली के अब तक के सबसे उम्रदराज़ कोच हैं।वे अपनी टीम को प्रेरित करने में खासे नाकाम रहे। दरअसल उनमें वो जज़्बा और जोश था ही नहीं जो टीम को प्रेरणा से भर सके। वे टीम के लिए नयी और चातुर्यपूर्ण नीति नहीं बना सके।वे नए ऊर्जावान प्रतिभाशाली खिलाड़ियों को टीम में  शामिल करने से बचते रहे  और उनकी टीम वेटेरन खिलाड़ियों से भरी रही।
                                            

बुफों जिन्होंने विश्व कप फाइनल्स के बाद संन्यास लेने की घोषणा की थी,इस हार के बाद तुरंत अपने रिटायरमेंट के घोषणा कर दी। ये अजब संयोग था कि इटली के दूसरे महान गोलकीपर  कप्तान डीनो जॉफ ने भी अपने अंतिम मैच में स्वीडन से 2-0 से हारने के बाद संन्यास की घोषणा की थी। बुफों के साथ ही डिफेंडर आंद्रे बरजागली और मिडफील्डर डेनियल डी रोस्सी ने भी खेल को विदा कह दिया। ये तीनों ही 2006 विश्व विजेता टीम के सदस्य थे। साथ ही एक और वेटेरन डिफेंडर चेलिनी ने भी संन्यास की घोषणा कर दी है।इनसे जो वैक्यूम टीम में बनेगा उसे भरने के लिए तमाम युवा और जोशीले खिलाड़ी खड़े हैं जिनमें दोन्नारुममे,गैग्लिआर्डिनि,फेडेरिको चैसा,आंद्रे कोंटीऔर लोरेंजो पैलेग्रिनी प्रमुख हैं।जो भी हो ये खेल है। खेल में उतार चढ़ाव आते रहते है।ये आशा की जानी चाहिए कि इतावली फुटबॉल के इस विध्वंस से ही पुनर्निर्माण का रास्ता निकलेगा और एक बार फिर इतावली फुटबॉल शिखर पर पहुंचेगी। 
       
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जो हो ये भविष्य के गर्त में है। फिलहाल सत्य यही है चमकीली रॉयल ब्लु रंग की जर्सी वाले मॉडल सरीखे इतावली खिलाड़ी 2018 में रूस के मैदानों में पसीना बहाते नहीं दिखाई देंगे और ना ही 'फ्रैटेली डी इटालिया' कानों में गूंजेगा। रियली वी मिस यू इटली इन रशिया 2018,वी मिस यू। 


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दास्तान-ए-फुटबॉल विश्व कप 2018_1 

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